बेचैन आँखों में अटकलों का वो मंजर दीखता है
खंजर कहीं न बन जाए जीत का ये जिद्द
आज की रात ख़त्म ही न हो यही दुआ कर रहा हूँ
बबंडर कहीं न बन जाए जीत का ये जिद्द
लूट खसोट,वादाखिलाफी काश समय रहते आँख खुल गयी होती
भयंकर सा लगने लगा है अब जीत का जिद्द
कभी तख़्त तो कभी जमानत जब्त,क्या कहुँ
बेअसर सा लग रहा है जीत का ये ज़िद्द
लेख तो सही था पर किरदार वार कर गया
कल कही कहर न बरपाये जीत का ये ज़िद्द
फैसला आपका सर आँखों पर जनता जनार्दन
आपका प्रीत फिर लौटाएगा जीत का ये ज़िद्द..
खंजर कहीं न बन जाए जीत का ये जिद्द
आज की रात ख़त्म ही न हो यही दुआ कर रहा हूँ
बबंडर कहीं न बन जाए जीत का ये जिद्द
लूट खसोट,वादाखिलाफी काश समय रहते आँख खुल गयी होती
भयंकर सा लगने लगा है अब जीत का जिद्द
कभी तख़्त तो कभी जमानत जब्त,क्या कहुँ
बेअसर सा लग रहा है जीत का ये ज़िद्द
लेख तो सही था पर किरदार वार कर गया
कल कही कहर न बरपाये जीत का ये ज़िद्द
फैसला आपका सर आँखों पर जनता जनार्दन
आपका प्रीत फिर लौटाएगा जीत का ये ज़िद्द..
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