Negative Attitude

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Monday, January 24, 2022

"बिहार मे बहार है" या "बिहार अभी भी बीमार है"?


आपको बिहार की समर्पित विधायिका,कुशल नौकरशाही और न्यायनिष्ठ न्यायतंत्र को समझना है तो आपको कुछ करने की जरूरत नही है/ कोई सर्वेक्षण की जरूरत नहीं है..विधानसभा,सचिवालय और पटना के कार्यालयों को छोड़कर आप किसी भी शहर या गाँव के सरकारी दफ्तर में चले जाइए,आपको समझ मे आ जाएगा की "बिहार मे बहार है" या "बिहार अभी भी बीमार है"?

और लोकतंत्र के चौथे खंबे कहे जाने वाले मीडिया में कुछ को छोड़कर तकरीबन सारी मीडिया जमात या तो सरकार के माथे पर झंडू बाम रगड़ने में व्यस्त हैं या फिर "नीतिश+BJP+सुशील+RJD+ललन+RCP" के राजनैतिक रसायन के रस से बिहार की तकदीर बदलने की वैक्सीन बनाने में जुटे है...आम लोगों से इनका ना तो कोई सरोकार है और ना ही इनको बिहार की फरेबी विधायिका या जलेबी नौकरशाही से कोई दिक्कत है.!!

बिहार की बीमारी "जेपी/लोहिया/कर्पूरी" युग और इनसे उपजी सभी पार्टियों से लेकर अब के BJP युग तक कोई ऐसा राजनैतिक डॉक्टर नहीं बन पाया जो बिहार की बीमारी का सही उपचार कर सके..!!

बिहार की बीमारी से सभी खुश है,मालिक भी नौकर भी और महाबत भी, बीमारी की लाचारी से तो सिर्फ बिहार कराह रहा है..!!

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा की माँग फिर शुरू हुई है और विशेष राज्य का दर्जा मिलना भी चाहिए लेकिन भारत सरकार के नीति आयोग से नहीं,भारतीय संविधान की नियतिवाद के संकल्प के प्रयोग से मिलना चाहिए..अन्यथा अभी जो बिहार की बीमारी का इलाज कर रहे है उनको "विशेष" और "दर्जा" दोनो को गटकने में देर थोड़े ना लगेगी...बिहार में शराबबंदी है तो क्या हुआ, "अज़ाब-बंदी" बंद हो तब ना..!!

बिहार को बीमार लिखने में दिल पसीज जाता है लेकिन क्या करें,जहाँ मुख्यमंत्री के दरबार मे जनता होती है और मुख्यमंत्री प्रचार करते हों "जनता के दरबार में मुख्यमंत्री"...बताइए "बिहार" बीमार है या नहीं..!!

#Bihar #StandupBihar

Wednesday, January 12, 2022

"उत्तर प्रदेश चुनाव(2022) विशेष"


Electioneering में जैसे Floating मतदाता की संकल्पना है वैसे ही Floating नेता और अब तो Floating/Godi Media की भी संकल्पना है जो P.P Model पर कार्य करता है..P.P Model यानि  "The Politics of perceptions"..P.P Model की राजनीति की धारणा एक अलग राजनीतिक अभिविन्यास का गठन करती है जिसमें Floating नेता,सत्ता और Floating/Godi Media द्वारा Floating मतदाता को राजनीतिक भागीदारी के क्षेत्र में राजनीति की अवधारणा और राजनीतिक भागीदारी दोनों को दिग्भ्रमित करने की चाल होती है. 

पिछले 2-3 दिनों से उत्तर प्रदेश में जो "दल-बदल" भगदड़ मची है उससे ना तो कमल को फायदा होगा और ना ही साइकिल को..इसका फ़ायदा सिर्फ और सिर्फ जनहित से जुड़े मुद्दों का होगा..!! भावना हिलकोरे तब ज्यादा मारती है जब चुनाव में किसी दीर्घकालीन शासन/anti incumbency प्रमुख कारक होता है,हमेशा नही..!!

ध्यान रखिए, "The Politics of perceptions" गिरगिट के समान होता है। जब हम इसे देखते हैं, तो हम जानते हैं कि यह कुछ समय के लिए स्पष्ट दृष्टि में छिपा रहा होगा,लेकिन जब तक हम इसका पता नहीं लगा लेते, तब तक हम इसके अस्तित्व के बारे में जानते भी नहीं हैं...

2022 चुनाव में "गंगा को माँ बना लेने से या गंगा का बेटा बन जाने" से UP की मतदाता रिझने वाली नहीं है..इस बार UP की सियासत से गंगा कई कठिन सवाल भी पूछने को तैयार है..सत्ता,गोदी मीडिया और P.P Model को इसके लिए तैयार रहना होगा..!!

पिछले कुछ वर्षो से गोदी मीडिया के सहयोग से चुनाव के समय "दल-बदल" भगदड़ के जरिए "The Politics of perceptions" का स्वांग रचाया जाता है और इसी स्वांग को लक्षित कर "गोदी मीडिया" कुछ रहस्यमयी Opinion Polls दिखा "The Politics of perceptions" को "मास्टरस्ट्रोक/ प्रदेश का मिज़ाज" सिद्ध कर चुनाव के कुछ समय पहले से ही मतदाताओं के दिमाग पर काबु पाने की प्रक्रिया शुरू कर देती है...लेकिन नोट कर लीजिए 2022 चुनाव में P.P Model नहीं चलने वाला है..!!

गोदी मीडिया की Electioneering अभी तक "गंगा जमुना" पर ही केंद्रित है लेकिन ये बहुत बड़ी भूल होगी अगर आप सरस्वती को नज़रंदाज कर रहे हैं तो..क्योंकि इस बार दम ख़म के साथ सरस्वती भी मैदान मे है..!!

सत्ता और गोदी मीडिया की Electioneering ने उनके "Visual analog scale" से सरस्वती को विलुप्त दिखाने का जो प्रपंच रचा है वह शर्मनाक है..कहीँ ये भूल तो नहीं गये हैँ की,प्रतियोगिता में सब विजयी होने के लिए भाग लेते है और प्रतियोगिता है तो इसमे जीत भी  होगी और हार की सीख भी होगी...ख़ैर 10th मार्च 2022 ज्यादा दूर नही है..इंतज़ार कीजिए..!!


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Tuesday, January 4, 2022

विकास का फरिश्ता अब आत्मनिर्भर का अधिवक्ता है


महामारी जैसे घोर संकट के समय में अगर देश का मुखिया/ प्रधानमंत्री सभी तरह के कर वसूलने के बाद समाज के सभी वर्गों पर करुणा दिखाने के बजाये,देश की जनता को आत्मनिर्भर बनने के संकल्प लेने लिए बार- बार जोर डालते हो तो..इसका आम आदमी क्या मतलब निकाले?

ज़िल्ल-ए-इलाही,आप,भारत में अच्छे दिन लाने का फरिश्ता बन प्रधानमंत्री की सत्ता हासिल की थी और सोचिए आज आप लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के अधिवक्ता बन बैठे?..इसका बहुत स्पष्ट मतलब है की..आपने 2014 से आज तक जो भी वादे किये हैँ या आपका जो भी भक्तकथित मास्टरस्ट्रोक था,वो सभी महज़ एक फ़रेब का पुलिंदा था..लालकिला फतेह करने की चाल थी...राजा औऱ सेंट्रलविस्टा का सुख भोगने का हठ था..गटर से गैस निकालने की आविष्कारक प्रेरणा के श्रोत बनने का ज़ज्बा था, चाय और पकौड़े के व्यावसाय को "जी टीवी" पर प्रसिद्धि दिलाने का दीवानापन था..जटिल GST लागू कर छोटे/मंझोले व्यवसायों की बर्बादी सुनिश्चित कर संसद भवन को रंगीन रोशनियो से सराबोर करने का जुनून था, रातोंरात नोटबंदी कर कमजोर अर्थव्यवस्था को और लाचार बनाने की दिवानगी थी और महामारी के शुरुआत में महज़ चंद घंटों के भीतर लॉकडाउन लगाने का साहसिक निर्णय की फकीरी थी...कैसे भी करके, सत्ता पाने के जिद्द की प्रेरणा के लिए माननीय आप इस सदी के राजनैतिक महानायक हैं..और ऐसा कहने में किसी को कोई संशय भी नहीं होनी चाहिए..!!

इसके साथ-साथ अब तो भारतवासियों को आपके राज्यपाल महामहिम सत्यपाल जी से यह भी पता चल गया कि आप केवल करिश्माई व्यक्तित्व वाले जननेता ही नही लोकप्रिय घमंडी प्रधानमंत्री भी है..!!

आप महान है..आपने भारत को मुफ़्लिसी और बेकारी का जो सौगात दिया है उसके लिए,जनगणमन के आधिनायक आपका सदैव कर्जदार रहेंगे.ये कोई काल्पनिक अवधारणा नहीं है,आपके ही नीति आयोग की रिपोर्ट बताती है.

आपकी अर्थशास्त्र के समझ का भी कोई मुकाबला नहीं है...आप अर्थशास्त्र का सबसे सुलभ मार्ग जानते है की कर वसूली के लिए भारत कितना मासूम एवं दिलदार है....देश में खुदरा महंगाई दर का जलवा इसका जीता जागता उदाहरण है...

ज़रफ़िशाँ है मिरी ज़रख़ेज़ आवामो का बदन..
ज़र्रा ज़र्रा मिरे हिन्दोस्तां का पारस निकला..!!