भारतीय गणराज्य में कैम्ब्रिज एनालिटिका और फेसबुक डेटा लीक का मामला इतनी गर्मजोशी से "मेक इन मीडिया प्राइवेट लिमिटेड" में छाया हुआ है मानिये पाकिस्तान ने चीन पर हमला कर दिया हो.भाई साहब फ्री की हर चीज अदृश्य होकर महँगी होती है.इंटरनेट के युग में तो यह इससे सम्बंधित सभी व्यवसाय की अदृश्य पूंजी है. जो लोग भी डेटा लीक मुद्दे को उछाल रहे है वो यह सन्देश देना चाहते है की डेटा लीक जैसी घटना आश्चर्य है.असल में इस डेटा लीक वाले हमाम में सभी नंगे होकर खुश है, नाराजगी तो बस इस बात की है की हमाम में नंगे वाले इनके फोटो सार्वजनिक हो गयी है.
आप कोई भी "एप्लीकेशन/ऍप" (चाहे वो सरकारी हो,प्राइवेट हो या किसी मीडिया/न्यूज़ पपेर या टीवी चैनल का हो) किसी भी ऍप स्टोर से डाउनलोड करे वो आपका लगभग प्रत्येक निजी एवं संवेदनशील डेटा का एक्सेस लेकर ही ऍप इस्तेमाल करने देता है! मतलब पैंट तो फ्री में दिया लेकिन फटी हुई जेब के साथ!
अब बताइये "डेटा लीक" कोई मुद्दा है क्या? डेटा लीक तो इंटरनेट व्यवसाय की रीढ़ है अगर ये नहीं तो इंटरनेट किसी बंद अलमारी के जैसा होगा! गूगल को पंडित की उपाधि फ्री सेवा के लिए नहीं वल्कि फ्री जानकारी मुहैया करने के लिए दी गयी है और ये फ्री जानकारी "डेटा लीक/एक्सेस" के जरिये ही संभव हो पा रही है!
समाचार वाले ऍप को समाचार उपलब्ध कराने से मतलब है फिर उनको मेरे फ्रेंड लिस्ट या मीडिया गैलरी का एक्सेस क्यों चाहिए। नरेंद्र मोदी ऍप (narendramodi.in) को जनता से संवाद स्थापित करना है फिर उनके ऍप को हमारे मीडिया गैलरी,फोटो एवं सारे फाइल्स की एक्सेस क्यों चाहिए?
मतलब स्पष्ट है "डेटा लीक" कोई मुद्दा नहीं है. इंटरनेट के युग में इंटरनेट से हमें हमारा निजी डेटा लेने के बाद ही फ्री सेवाएं मिलती है! राजनीतिज्ञों को पहले अपने open-ended चरित्र को structured करने की जरुरत है तभी ये कुछ जनकल्याण की सोच पाएंगे।
हमारे जनप्रतिनिधि हमेशा "२६% भारतीय अशिक्षित है" का लाभ open-ended अनाप- शनाप बोलकर उठाने के चक्कर में लगे रहते है!!!
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