एक वक़्त था जब बिहार महज मज़ाक था
आज देखिये यहाँ तरक़्क़ी खूब झलकती है
हालात यहाँ खुद सक्षम है अपनी खुशहाली वयां करने में
आंकड़े का क्या ये तो बस विवादों का हसीं संवाद है
चुनाव का मौसम है और तैयार है चेतना के व्यापारी
खबरदार,ये डी.एन.ए और जीन परखकर करेंगे खरीदारी
खयाली जुमले पर होगी सब्सिडी और असत्य का मुफ्त वितरण होगा
खयाली जुमलों पर मौका तो दिया,ना जांचा ना परखा बस वक़्त गवां दिया
यु तो इन रहनुमाओ को हम वैसे ही कहा याद आते है
ये तो चुनाव है, मजबूरीबस खींचे चले आते है
देखियेगा,समझियेगा और तभी व्यापार कीजियेगा
बढ़ चला बिहार का श्रम और विश्वाश पे अविश्वाश पर विचार जरूर कीजियेगा
एक वक़्त था जब बिहार महज मज़ाक था
आज देखिये यहाँ तरक़्क़ी खूब झलकती है...
आज देखिये यहाँ तरक़्क़ी खूब झलकती है
हालात यहाँ खुद सक्षम है अपनी खुशहाली वयां करने में
आंकड़े का क्या ये तो बस विवादों का हसीं संवाद है
चुनाव का मौसम है और तैयार है चेतना के व्यापारी
खबरदार,ये डी.एन.ए और जीन परखकर करेंगे खरीदारी
खयाली जुमले पर होगी सब्सिडी और असत्य का मुफ्त वितरण होगा
खयाली जुमलों पर मौका तो दिया,ना जांचा ना परखा बस वक़्त गवां दिया
यु तो इन रहनुमाओ को हम वैसे ही कहा याद आते है
ये तो चुनाव है, मजबूरीबस खींचे चले आते है
देखियेगा,समझियेगा और तभी व्यापार कीजियेगा
बढ़ चला बिहार का श्रम और विश्वाश पे अविश्वाश पर विचार जरूर कीजियेगा
एक वक़्त था जब बिहार महज मज़ाक था
आज देखिये यहाँ तरक़्क़ी खूब झलकती है...
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