Negative Attitude

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Thursday, January 9, 2014

क्षमाप्रार्थी

आप के वयार में हम संभलने लगे
सोहबत में आप के हम निखरने लगे
इस कदर आप से हमको मोहब्बत हुई
टूटके हाथ में बिखरने लगे

आप जो इस तरह से आगे बढ़ जायेंगे 
ऐसे आलम में पागल हम हो जायेंगे
वो मिल गया जिसकी हमें कबसे तलाश थी
बैचैनी इस सांसों में सिर्फ़ नमो नाम की थी
सड़को से संसद में हम अब विचरने लगे
इस कदर आप से हमको मोहब्बत हुई
टूटके हाथ में बिखरने लगे 

सत्ता की ताप से तन पिघल जायेगा
हाथ लग जायेगी मन मचल जायेगा
जलवा दिखा जो दिल्ली के वोट से
चिंगारियां उड़ने लगी प्रजा के शोर से
हम सनम हद से आगे गुजरने लगे
इस कदर आप से हमको मोहब्बत हुई
टूटके हाथ में बिखरने लगे ...:)



[उद्धरण:-हिंदी फ़िल्म-राज़]

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