Negative Attitude

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Sunday, July 8, 2012

बर्थडे बॉय - पद्मश्री सौरव चांदिदास गांगुली


अजीब दास्ताँ है ये,कहाँ शुरू कहाँ ख़तम,ये मंजिलें है कौन सी,न वो समझ सके न हम.मैं किसी फिल्म के गीत की बात नहीं कर रहा हूँ, मैं बात कर रहा हूँ क्रिकेट के दादा पद्मश्री सौरव चांदिदास गांगुली की क्योंकि क्रिकेट में गंगुलिकरण और भारतीय क्रिकेट की सफलता आज भी गीत का ये मुखड़ा जरूर गुनगुनाता होगा.आज इनका जन्मदिन है और इनके तजुर्बे से लबालब भरे जिंदगी में एक और वर्ष जुड़ने पर ढेर सारी शुभकामनाओ के साथ आज का यह लेख इनकी शान में समर्पित करता हूँ.याद है साल २००५ का वो दर्दनाक लम्हा जब BCCI की इंडियन टीम के तत्कालीन कोच ग्रेगोरी स्टीफेन चैपल ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को ईमेल किया था और कहा था कि गांगुली शारीरिक और मानसिक रूप से "इंडियन टीम के नेतृत्व के लिए अयोग्य है  और उनका 'बांटो और राज करो" वाला व्यवहार टीम की क्षति कर रहा है.किसी भी संस्थान या व्यवस्था या समूह का कोच मतलब उस कुनबे का अनुभव में सर्वोच्च व्यक्ति.पता नहीं BCCI ने ग्रेगोरी स्टीफेन चैपल को किस नज़र से भारतीय क्रिकेट टीम का कोच नियुक्त किया था.आइये एक नज़र पद्मश्री सौरव चांदिदास गांगुली और गांगुलीकालीन इंडियन क्रिकेट टीम के कोच की तुलनात्मक अनुभव कुंडली पे डालते हैं.
पद्मश्री गांगुली ने ११३ टेस्ट मैच खेले है जबकि ग्रेग चैपल ने ८७  टेस्ट मैच मतलब पद्मश्री गांगुली के मुकाबले ग्रेग चैपल २३% कम मैच खेले है. एक दिवसीय मैचो की बात की जाए तो ये आपको और भी अचंभित कर देगी पद्म श्री गांगुली ने 311 एक दिवसीय मैच खेले है जबकि ग्रेग चैपल ने ७४ एक दिवसीय मैच मतलब पद्मश्री गांगुली ने  ग्रेग चैपल के  मुकाबले 400% ज्यादा मैच खेले है.कप्तानी में सफलता की ओर नजर डाले तो इसमें भी पद्म श्री गांगुली ग्रेग चैपल से ०६ % आगे है. अब बताइए ज्यादा अनुभवी कौन है -पद्मश्री गांगुली या ग्रेग चैपल? कम अनुभवी व्यक्ति अपने से ज्यादा अनुभवी को कैसे और क्या मार्गदर्शन कर सकता है. एक हवलदार एक थानाध्यक्ष को क्या अतिरिक्त ज्ञान दे सकता है? एक कम अनुभवी को अगर पॉवर मिल जाता है तो वो अपने आप को बहुत असुरक्षित महसूस करने लगता है और अपना अस्तित्व वरकरार रखने के लिए के लिए कुछ भी कर सकता है और ठीक वैसा ही ग्रेग चैपल ने अपनी नाकामी का सारा ठीकरा गांगुली के सर फोड़ कर किया.एक अवकाशप्राप्त व्यक्ति ने ३२ साल के उम्र में ही एक गांगुली को अवकाशप्राप्त घोषित कर दिया.देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित गांगुली को BCCI ने आज तक इज्जत से स्र्ख़सत भी न कर सकी.BCCI के मानव प्रवंधन का इससे अच्छा उदहारण और क्या हो सकता है? झूठी शान और गुटबाजी हम भारतीयों की सफलता की कुंजी है. झूठी शान और गुटबाजी जहाँ भी होगा वहां योग्य और योग्यता की इसी तरह अधिकृत हत्या होती रहेगी.पता नहीं BCCI को फिरंगो की दुलत्ती इतनी पसंद क्यों है ये भी उन राजनेताओं के नक्शेकदम पे ही चलता है जो विदेशो में ड्राई क्लीन हुए कपडे पहन कर भारत में गरीबी उन्मूलन की बात और फिर देशव्यापी जनांदोलन किया करते है.हमारी क्रिकेट की सफलता के लिए अपना जीवन नेव्छावर करने वाले कई हीरो ऐसे भी है जिनको क्रिकेट ने इनाम स्वरुप सिर्फ और सिर्फ लान्क्षण ही दिया है.भारत में क्रिकेट खेल की सर्वोच्च संस्था BCCI में राजनेताओ का क्या काम? एक राजनेता खेल में क्या योगदान कर सकता है? किसी भी खेल की संस्था में अगर कोई खेल में योगदान कर सकता है वो उसी खेल के वरिष्ठ खिलाडी कर सकते है न की राजनीती और उसके अनुयायी नेतागण.पद्मश्री गांगुली अब क्रिकेट की भारतीय नौटंकी मंडली से आज़ाद हो चुके है और उनके क्रिकेट कमेंटेटर रुपी नए अवतार में देखकर हमें अपार हर्ष होता है.कम से कम क्रिकेट की टीवी कमेंट्री में क्रिकेट से जुड़े लोग तो है.वैसे दोस्तों जब भी हमलोग क्रिकेट से जुडी सफलताओं का जिक्र करते होंगे तो उनमें पद्मश्री गांगुली के योगदान को जरूर याद करते होंगे...है ना !! एक बार और जन्म दिन के इस शुभकामनाओ के साथ आपसे विदा ले हूँ..अल्लाह हाफिज़..:-) बार बार दिन ऐ आये, बार बार दिल ऐ गाये,तू जिए हजारो साल मेरे दिल की है ऐ आरज़ू.Happy birthday to you! Happy birthday to you! Happy birthday Dear Ganguly! Happy birthday to you! ..

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