Negative Attitude

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Wednesday, June 20, 2012

गोल्डेन वर्ड्स आर नोट रीपीटेड....

हाल ही में  दैनिक भास्कर पढ़कर ख़ुशी हुई थी की गरीबी, पिछड़ेपन का पर्याय माना जाने वाला बिहार लगातार दूसरे साल सबसे तेज विकास दर हासिल करने वाला राज्‍य बन गया है। 2011-12 में बिहार की विकास दर 13.1 फीसदी दर्ज हुई है। बिहार की अर्थव्‍यवस्‍था अब पंजाब से भी ज्‍यादा बड़ी हो गई है। गुजरात फिर टॉप 5 में जगह नहीं बना सका है। लेकिन कल के श्री नितीश कुमार जी के The Economic Tmes को दिए इंटरविउ से यह महसूस हुआ की आकड़ो की यह रसीली गोली सिर्फ व्यक्तिगत शौर्यता प्रदर्शित करने के लिए ही थी. कमल की अगुआई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(एन डी ए)  पहले से ही अंदरूनी कलह से दुर्घटनाग्रस्त है और इनके सदस्यों द्वारा इस तरह के राजनितिक बयानबाजी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(एन डी ए) को मटीयापलिद  होने में और तीब्रता प्रदान करेगी.संसदीय चुनाव २०१४ में है और दो साल पहले ही प्रधानमंत्री के नामो की उत्सुकता वाली बात बिलकुल समझ में नहीं आई ?? सत्य तो यह है हमारे देश की जनता ब्रांडेड वहन कर सके या नहीं परन्तु  भारतीय राजनीती ब्रांडेड संकल्पना पर ही चलती आ रही है फिर इन बेतुकी बयानबाजी में समय क्यों व्यर्थ गवाएं. जनता राष्ट्रीय पार्टियों से निराश होकर क्षेत्रीय पार्टियों द्वारा क्षेत्रीय हितो वाली चुनावी घोषणा पर भरोसा कर उनको चयनित करती है और सत्ता मिलते क्षेत्रीय पार्टिया  चुनावी घोषणा के बिलकुल विपरीत अपने व्यक्तिगत रेटिंग बनाने में जूट जाती है.  बिहार के तेज विकास दर हासिल करने के ताज़ातरीन आंकड़े चाहे जो भी प्रदर्शित करें लेकिन २०११ जनगणना  के निम्नलिखित आंकड़े बिहार की कुछ और ही तस्वीर प्रस्तुत करती है...


विद्युतीकरण के मामले में बिहार अभी भी सबसे निचे है और इन १० साल के आंकड़ो में श्री नितीश कुमार जी की अगुआई वाली सरकार की भागीदारी ०६ साल की है.राष्ट्रीय औसत से निचे विराजमान राज्यों में उत्तर प्रदेश जो निचे से बिहार से ठीक ऊपर है में ३६.८ प्रतिशत घरों में बिजली है वही बिहार जो सबसे निचे है में १६.४ प्रतिशत घरों में बिजली है.अब जरा सोचिये मानव जीवन की मुलभुत जरूरतों में एक विद्युत्  भी है  और जिससे बिहार के सौ घरो में से ८४ घर आजादी के ६५ साल बाद भी बिजली की सुविधाओं से महरूम है.बिना विद्युत् के विकास की चमकदार रौशनी की कल्पना भी नहीं की जा सकती. हम कुछ नवनिर्मित सड़को,श्री प्रकाश झा जी का शौपिंग मॉल,पटना की ११०  रूपया में ०४ किलोमीटर वाली प्रीपेड ऑटो सेवा का श्री गणेश,दलितों को रेडियो इत्यादि को ही विकास और विकसित होने के मापदंड मानकर हर्षित हो गुणगान करते थक नहीं रहे है.हर्षित हो भी क्यों न जाने कितने वर्षो बाद  ऑनलाइन शौपिंग को अग्रिम होते युग में  अब ग्रेट मिडिल क्लास ट्रोली साथ में लेकर शौपिंग करने का आनंद जो उठा  रहे है. बिहार के बढ़ते विकास दर की यह गाथा मृगतृष्णा जैसा ही है.ख़ुशी तो तब होगी जब बिहार विद्युतीकरण में राष्ट्रीय औसत तो छोडिये अभी,  कम से कम उत्तरप्रदेश के आंकड़े को पार कर ले.श्री नितीश कुमार जी के नेतृत्व वाली भाजपा+जद-यु सरकार अब तक काफी सराहनीय रही है और निस्संदेह स्वतंत्रता के ६५ साल बाद पहली बार श्री नितीश कुमार जी बिहार के विकास के लिए उम्मीद की किरण बन कर उभरे है और इस सकारात्मक उद्देश्य के वांक्षित परिणाम तभी प्राप्त होंगे जब व्यक्तिगत राजनीती पे वक़्त जाया करने के वजाय सिर्फ और सिर्फ बिहार के विकास के लिए ध्यान 
केन्द्रित की जाए.

नॉव इट्स माय टर्न वर्ड्स ऑफ़ कॉमन मैन विल बी रीपीटेड अगेन एंड अगेन ......:-)     

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