आपको बिहार की समर्पित विधायिका,कुशल नौकरशाही और न्यायनिष्ठ न्यायतंत्र को समझना है तो आपको कुछ करने की जरूरत नही है/ कोई सर्वेक्षण की जरूरत नहीं है..विधानसभा,सचिवालय और पटना के कार्यालयों को छोड़कर आप किसी भी शहर या गाँव के सरकारी दफ्तर में चले जाइए,आपको समझ मे आ जाएगा की "बिहार मे बहार है" या "बिहार अभी भी बीमार है"?
और लोकतंत्र के चौथे खंबे कहे जाने वाले मीडिया में कुछ को छोड़कर तकरीबन सारी मीडिया जमात या तो सरकार के माथे पर झंडू बाम रगड़ने में व्यस्त हैं या फिर "नीतिश+BJP+सुशील+RJD+ललन+RCP" के राजनैतिक रसायन के रस से बिहार की तकदीर बदलने की वैक्सीन बनाने में जुटे है...आम लोगों से इनका ना तो कोई सरोकार है और ना ही इनको बिहार की फरेबी विधायिका या जलेबी नौकरशाही से कोई दिक्कत है.!!
बिहार की बीमारी "जेपी/लोहिया/कर्पूरी" युग और इनसे उपजी सभी पार्टियों से लेकर अब के BJP युग तक कोई ऐसा राजनैतिक डॉक्टर नहीं बन पाया जो बिहार की बीमारी का सही उपचार कर सके..!!
बिहार की बीमारी से सभी खुश है,मालिक भी नौकर भी और महाबत भी, बीमारी की लाचारी से तो सिर्फ बिहार कराह रहा है..!!
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा की माँग फिर शुरू हुई है और विशेष राज्य का दर्जा मिलना भी चाहिए लेकिन भारत सरकार के नीति आयोग से नहीं,भारतीय संविधान की नियतिवाद के संकल्प के प्रयोग से मिलना चाहिए..अन्यथा अभी जो बिहार की बीमारी का इलाज कर रहे है उनको "विशेष" और "दर्जा" दोनो को गटकने में देर थोड़े ना लगेगी...बिहार में शराबबंदी है तो क्या हुआ, "अज़ाब-बंदी" बंद हो तब ना..!!
बिहार को बीमार लिखने में दिल पसीज जाता है लेकिन क्या करें,जहाँ मुख्यमंत्री के दरबार मे जनता होती है और मुख्यमंत्री प्रचार करते हों "जनता के दरबार में मुख्यमंत्री"...बताइए "बिहार" बीमार है या नहीं..!!
#Bihar #StandupBihar
No comments:
Post a Comment